यूपी के जौनपुर जिले के सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के गिरधरपुर औरही गांव में रविवार के दिन हल्का लेखपाल रमेश कुमार दुबे अपने साथ थाने से आधा दर्जन से अधिक सिपाही जिसमें महिला कांस्टेबल भी शामिल थी उनके साथ पहुंचकर विवादित जमीन जिस पर दीवानी न्यायालय से स्थगन आदेश पारित उस पर कब्जा कराने का प्रयास किया था। इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक सराय ख्वाजा अवनीश कुमार राय ने बताया कि हलके के लेखपाल पैमाइश करने के लिए थाने पर से पुलिस फोर्स अपने साथ ले गए जिसकी जीडी में रवानगी भी की गई है। अब प्रश्न इस बात का उठता है कि जिस भूमि पर सिविल जज जूनियर डिविजन के न्यायालय से स्थगन आदेश पारित हुआ हो उस जमीन पर लेखपाल द्वारा पुलिस फोर्स के साथ कब्जा कराने का प्रयास किया गया जो चर्चा का विषय बना हुआ है। दीवानी न्यायालय से स्थगन आदेश पारित होने के बाद न्यायालय के आदेश द्वारा उक्त जमीन की नाप जोक भी की गई है। दूसरी तरफ नापी करने के लिए मौके पर पहुंचे 9 सिपाही जिसमें महिला कांस्टेबल भी शामिल हैं यह बात भी चर्चा का विषय बनी हुई है जिसमें पुलिस की भूमिका लेखपाल के साथ संदिग्ध प्रतीत होती है। वृद्ध महिला दीवानी न्यायालय से लेकर उच्च अधिकारियों के दरवाजे का चक्कर काट रही है। वृद्धा महिला ने बताया कि जिस समय इतनी पुलिस फोर्स आई थी उसमें एक सिपाही थाने का जो महिलाओं को तरह-तरह की धमकी भी दे रहा था। फिलहाल हलके के लेखपाल द्वारा दीवानी न्यायालय का स्थगन आदेश उस समय नजरअंदाज किया गया जब महिला बार-बार दीवानी न्यायालय का आदेश दिखा रही थी। काफी दिनों के चल रहे इस जमीन के विवाद में एक पक्ष से लेखपाल कुछ ज्यादा ही हमदर्दी जता रहें हैं जिससे उनकी भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। क्षेत्र मे यह भी चर्चा बनी हुई है कि एक बार दो पक्षों को आपस में लड़ा कर अपना ही स्वार्थ हल कर रहे हैं। अगर पुलिस और लेखपाल का यही रवैया रहा तो दीवानी न्यायालय का स्थगन आदेश देने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। प्रदेश में कानून का राज कायम करने वाली योगी सरकार जहां स्वच्छ प्रशासन देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है वही पुलिस और हल्का लेखपाल का यह मामला चर्चा का विषय अभी भी बना हुआ है। दूसरी तरफ प्रश्न इस बात का उठता है कि हल्का लेखपाल के पास किसी भी सक्षम अधिकारी का न तो आदेश था और न तो दीवानी न्यायालय का कोई आदेश प्राप्त था फिर भी इतनी बड़ी मात्रा में पुलिस फोर्स का जाना अपने में एक अलग सवालिया निशान उठाता है। रिपोर्ट संदीप यादव
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