• जीवंत चमत्कार हैं जैन मुनि
• विरली होती है जैन मुनि की आहारचर्या
• 36 दोषों को टालकर लेते हैं आहार
• 24 घंटे में एक ही बार लेते हैं अन्न जल
झांसी: वास्तव में वर्तमान में अगर कोई जीवंत चमत्कार है तो उनका नाम जैन मुनि हैं। अहिंसा,सत्य,अचौर्य,अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य आदि महाव्रतों के धारी दिगम्बर जैन मुनि जीवनपर्यंत 24 घंटे में मात्र एक ही बार मध्यान्ह के समय छत्तीस दोषों को टालकर नवधा भक्ति से युक्त श्रावक के द्वारा अन्न जल ग्रहण करते हैं।
पंचायत मनोनीत सदस्य सौरभ जैन सर्वज्ञ ने दिगम्बर जैन मुनि की आहारचर्या की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि दिगम्बर जैन साधु आहार हेतू किसी भी व्यक्ति या परिवार के निमंत्रण को स्वीकार नहीं करते हैं। जब दिगम्बर साधु मंदिर से मन में संकल्प (विधि) लेकर आहार की मुद्रा बनाकर निकलते हैं। उस समय तब अनेकों परिवार के श्रावक-श्राविकाएं (श्रद्धालुगण) श्रद्धभक्ति पूर्वक हाथों में मंगल कलश द्रव्य आदि को लेकर निर्मल परिणामों से हे स्वामी नमोस्तु..नमोस्तु..नमोस्तु.. आत्रो आत्रो तिष्ठो तिष्टो कहकर पड़गाहन करते हैं तब किसी भी एक परिवार के द्वारा अपने मन में लिए संकल्प को पूरा होते हुए देखकर उनके सामने जाकर खड़े हो जाते हैं श्रद्धालु अत्यंत भक्ति भाव से उनकी तीन प्रदिक्षिणा (परिक्रमा) लगाकर मन शुद्धि,वचन शुद्धि,काय शुद्धि आहार जल शुद्ध हैं यह वचन देकर उनसे गृह प्रवेश का आग्रह करते हैं,घर पहुंचकर शुद्धि (सोला) के वस्त्रों में उपस्थित परिवार जन उनके चरणों का पाद प्रक्षालन एवं पूजन कर पुनः मन वचन, काय एवम् भोजन की शुद्धि बताकर उनसे मुद्रा छोड़ अंजुली बनाकर आहार ग्रहण करने का आग्रह किया करते हैं। गौरतलब है दिगम्बर जैन मुनि खड़े होकर अपने हाथों की अंजुली बनाकर ही आहार ग्रहण करते हैं। और अगर इस दौरान उनके हाथों में कोई बाल या कोई भी जीव आ जाए तो व्यवधान (अंतराय) मानकर उसी समय भोजन पानी का त्याग कर जल से मुख की शुद्धि करके अपने स्थान की ओर प्रस्थान कर जाते हैं और फिर अगले दूसरे दिन ही आहार के लिए निकलते हैं। इसीलिए श्रद्धालु बड़े ही ध्यान और सावधानीपूर्वक उनका आहार कराते हैं और निरंतराय आहार हो जाने पर अपने जीवन का पुण्य और सौभाग्य मानते हैं।
पंचायत मनोनीत सदस्य गौरव जैन नीम ने बताया वीरभूमि झांसी नगर में विराजमान जगतपूज्य निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर जी महाराज की आहारचर्या कराने का सौभाग्य डॉ राजीव जैन करगुंवा मंत्री संजय जैन (सिंघई हेल्थकेयर परिवार) को प्राप्त हुआ।इस दौरान श्रीमति शीला सिंघई,सरिता,सुनीता,सारिका,मेघा,मनीषा सिंघई,कीर्ति,श्वेता जैनम,आकांक्षा जैन,सुषमा जैन,महेंद्र जैन,मनोज सिंघई,आशीष माची,अमित जैन,शरद जैन, रविन्द्र चिरगांव,अंशुल बड़कुल ललितपुर,मनीष जैन चंदेरी,अतुल जैन सर,सौरभ जैन सर्वज्ञ,देवेश केडी,दिव्यांश जैन,शुभम जैन,विवेक भगतजी,अमन मोदी सहित सैंकड़ों श्रद्धालुओ ने मुनिश्री को आहारदान देकर अपने जीवन का सौभाग्य माना।
इसके पूर्व श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र सांवलिया पार्श्वनाथ करगुंवा जी में मुनिश्री सुधासागरजी,अविचलसागरजी महाराज,क्षुल्लक गम्भीरसागर महाराज के मंगल सानिध्य में श्रुत पंचमी पर्व आयोजित हुआ। इस अवसर पर प्राचीन जैन शास्त्रों को पालकी में विराजमान कर विशाल परिसर में शोभायात्रा निकाली गई।इस अवसर पर मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर अपने वचनों की प्रामाणिकता चाहते हो तो प्रमाणिक व्यक्ति बनो क्योंकि वक्ता की प्रमाणिकता से वचन की प्रमाणिकता होती हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे आचार्यों ने जो शास्त्रों में लिखा है कम से कम उसको अपने आंखों से देख तो लो, ऐसा संकल्प अपने जीवन में अवश्य लेकर जाओ।
इस अवसर पर जैन समाज के संरक्षक अजित कुमार जैन,वरिष्ठ भाजपा नेता ललित जैन,पूर्व अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन गार्ड, करगुंवा मंत्री संजय सिंघई,उत्तरांचल तीर्थक्षेत्र कमेटी के महामंत्री प्रवीण जैन,कनिष्ठ उपाध्यक्ष वरुण जैन,इंजी हुकुमचन्द जैन, राजेन्द्र बड़जात्या,अशोक लाला,दिनेश डीके,एड.अनूप जैन,मुकेश वीडियो,नरेश जैन मल्लन,डॉ विनय जैन,उमेश सिंघई,आशीष नगरा,अमीश बड़जात्या,नीलेश मोदी,मनीष जैन चंदेरी,सौरभ जैन सर्वज्ञ,अशोक जैन रतनसेल्स,कमल शिवाजी,कुलदीप करगुंवा,संजय छतरपुर,विनोद ठेकेदार,अनिल जैन,सनी चैनू,सिद्धार्थ जैन,अनूप जैन सनी,आशीष नगरा,विनम्र जैन,अभिषेक जैन,विकास जैन,कमलेश जैन,निशांत डेयरी,विनय चौधरी,श्रीमति सरोज जैन,रंजना जैन,सिद्धि जैन,विशाखा जैन,अनुष्का जैन,ऐना जैन,रूपम जैन,अंजली जैन,अर्चना जैन,सविता जैन सहित हजारों श्रद्धालु मौजूद रहें। धर्मसभा का संचालन ब्रह्मचारी अनुराग भैया ललितपुर एवं आभार एड.अनूप जैन ने व्यक्त किया।
प्रेषक:-
सौरभ जैन सर्वज्ञ
कोषाध्यक्ष:- भारत विकास परिषद विवेकानन्द शाखा
मनोनीत सदस्य:- श्री दिगंबर जैन पंचायत समिति,झांसी
मोबाइल नंबर 9140535648
Whatsapp. 9795682269