“उत्तम मार्दव विनय प्रकासै, नानाभेद ज्ञान सब भासै….”
• पर्वाधिराज पर्युषण दशलक्षण महापर्व के अवसर पर द्वितीय दिवस “उत्तम मार्दव धर्म” की पूजा की गई
• सुबह से ही नगर के जिनालयों में उमड़ पड़ी भक्ति
• श्रद्धालुओं ने जिनेन्द्र प्रभु का अभिषेक शांतिधारा कर विश्वशांति की भावना भाय
झांसी: नगर में पर्वाधिराज पर्युषण दशलक्षण महापर्व के अवसर पर द्वितीय दिवस सभी जिनालयों में सुबह से ही जिनालयों में भक्ति उमड़ पड़ी। श्रद्धालुओं के द्वारा जिनेन्द्र प्रभु के समक्ष विश्वशांति की भावना भाते हुए “उत्तम मार्दव धर्म” की आराधना की गई।करगुंवा क्षेत्र की पहाड़ी पर स्थित श्री दिगम्बर जैन चंद्रोदय तीर्थ पर विराजमान भव्य समवसरण में श्री चंद्रप्रभु भगवान का विधिविधान पूर्वक अभिषेक शांतिधारा,पूजन गौरव जैन “जैनम”, सजल जैन “चैनू”,अंशुल जैन,अंकित सर्राफ,सौरभ जैन सर्वज्ञ ने किया। श्रीमति निकिता जैन ने महार्घ समर्पित किया।
गांधी रोड स्थित श्री दिगम्बर जैन पंचायती बड़ा मंदिर में श्री जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक पूजन संजय सिंघई, अलंकार जैन,दिनेश जैन डीके,मनोज सिंघई,गौरव जैन नीम, वरुण जैन,दीपांक सिंघई,सचिन सर्राफ,आशीष जैन माची,दिव्यांश जैन,अनिल जैन कल्लू ,शुभम जैन छोटू ,सौरभ जैन गीतकार,शुभम जैन जैरी,सौरभराज जैन,अनूप जैन सनी, मयंक जैन लाला,अविनाश मड़वैया,रवि जैन,विकास जैन चिरगांव,मनोज नायक सहित सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने बड़े ही भक्तिभाव पूर्वक किया। इस दौरान युवा समाजसेवी सौरभ जैन सर्वज्ञ ने “उत्तम मार्दव धर्म” को परिभाषित करते हुए ने बताया कि जिस प्रकार अंक के अभाव में शून्य का कोई महत्व नहीं होता उसी प्रकार मृदुता के अभाव में किसी भी धार्मिक क्रिया का कोई महत्व नहीं। अपने मुख से अपनी प्रशंसा करना ये अहंकार की घोषणा एवम् दूसरों के मुख से अपनी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न होना ये अहंकार की पुष्टि हैं। मार्दव धर्म को स्वीकारें, यह मार्दव धर्म पापों को नाश करने वाला है, भावों को निर्मल बनाने वाला है, बैर को नाश करने वाला है,बुद्धि का संरक्षक है। अपना उत्थान करने के लिए हर व्यक्ति को अभिमान का त्याग करना चाहिए।
प्रेषक:-
सौरभ जैन सर्वज्ञ
मनोनीत सदस्य, श्री दिगम्बर जैन पंचायत समिति झांसी
प्रवक्ता: अखिल भारतीय विनिश्चय ग्रुप
मीडिया प्रभारी: दिगम्बर जैन समाज,झांसी
संस्थापक सचिव: भारत विकास परिषद् विवेकानन्द झांसी
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