*सिडबी – सीआरआईएफ ने जारी की कपड़ा उद्योग पर रिपोर्ट, दिसंबर 2020 तक 1.62 लाख करोड़ रुपये का ऋण*
*कपड़ा उद्योग को कुल कर्ज का 95 फीसदी छोटे व मझोले उद्यमों को*
लखनऊ, 8 जून, छोटे व मझोले उद्योगों (एमएसएमई) के प्रोत्साहन, वित्तपोषण और विकास के लिए सतत कार्यरत प्रमुख वित्तीय संस्थान, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और सीआरआईएफ़ हाई मार्क, ने भारत में उद्योगों की दशा पर अपनी रिपोर्ट उद्योग स्पॉटलाइट का तीसरा संस्करण लॉन्च किया। इस रिपोर्ट में भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग का विश्लेषण किया गया है।
सिडबी-सीआरआईएफ की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2020 तक इस क्षेत्र को मिले कुल कर्ज की राशि 1.62 लाख करोड़ रुपये रही है जिसमें 20 फीसदी की गिरावट देखी गयी है। मार्च 2020 में कोविड-19 के लॉकडाउन के तत्काल बाद में विनिर्माण गतिविधियों के निलंबन के कारण ऐसा हुआ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिसंबर 2020 तक इस क्षेत्र में सक्रिय ऋणों की संख्या 4.26 लाख रही।
इस उद्योग ने बीते दो सालों में एनपीए के स्तर में तिमाही गिरावट दर्ज की है। कपड़ा उद्योग का एनपीए जहां सितंबर 2018 में 29.59 फीसदी था वहीं सितंबर 2020 में यह गिरकर 15.98 फीसदी रह गयी। दिसंबर 2020 में इन एनपीए में केवल 0.94 फीसदी की बढ़त हुयी है जो दिसंबर 2019 की तुलना में 8 फीसदी कम है।
सिडबी-सीआरआईएफ की रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ सालों से परिधानों ने निर्यात के अधिकांश हिस्से का योगदान दिया है, इसके बाद घरेलू कपड़े और वस्त्र का स्थान है। हालांकि उद्योग स्पाटलाइट के मुताबिक दिसंबर 2020 तक निर्यात ऋण 25 फीसदी कम रहा है, जिसका मुख्य कारण वैश्विक महामारी के कारण निर्यात में आई गिरावट है। इस उद्योग को दिए गए कर्ज का करीब 95 फीसदी हिस्सा छोटे व मझोले उद्योगों के पास है। अगर राज्यों के हिसाब से देखें तो कर्ज में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी महाराष्ट्र की है।
रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि कपड़ा और परिधान निर्माण में समृद्ध 13 शीर्ष क्षेत्रों में दिसंबर 2020 तक इस क्षेत्र के कुल ऋण का 80 फीसदी हिस्सा रहा। लगभग सभी राज्यों में ऐसे जिले हैं जिनमें कपड़ा और परिधान निर्माण करने वाली कई ऋण सक्रिय इकाइयाँ हैं। मुंबई और सूरत जैसे कुछ जिलों का ऋण संविभाग यथा दिसंबर 2020 तक 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का रहा है।
सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सिवसुब्रमणियन रमण ने कहा, “भारत में कपड़ा और परिधान उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने और सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है और देश में रोजगार देने में बड़ी भूमिका रखता है। यह क्षेत्र, निर्यात में पांचवां सबसे बड़ा है, जो देश की निर्यात आय का 12 फीसदी और सकल घरेलू उत्पाद में 2 फीसदी का योगदान करता है। भारत, वस्त्रों के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी है और इसके पास संपूर्ण विनिर्माण मूल्य श्रृंखला है। केंद्रीय बजट 2021-22 में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने की सोच में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है और तदनुसार, वैश्विक स्तर पर भारत की कपड़ा प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए, एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान पार्क की एकीकृत योजना (एमआईटीआरए) की घोषणा भी की गई थी, जो घरेलू बाजार में तीव्र सुधार को परिदर्शित करने के लिए प्लग एंड प्ले सुविधाओं के साथ विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करेगी।
सीआरआईएफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यापालक अधिकारी नवीन चंदानी ने कहा, वैश्विक महामारी के बावजूद, कपड़ा और परिधान निर्माण में समृद्ध शीर्ष तेरह क्षेत्रों में दिसंबर 2020 तक ऋण संविभाग का 75 फीसदी हिस्सा उपयोग में लाया जा रहा था। भारत में, परिधान और कपड़ा क्षेत्र में प्रत्येक राज्य का अपना अनूठा योगदान है। भारत सरकार ने मई 2020 में आत्मानिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की, जो देशभर में बुनकरों और कारीगरों सहित बड़ी संख्या में छोटे पैमाने की संस्थाओं को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखता है।