धनबाद: नौ दिन चले अढाई कोस वाली कहावत जिला प्रशासन ओर इसके अधीन आनेवाले अनुमंडलीय कार्यालय के साथ साथ नगर निगम पर भी सटीक बैठती है। कारण ये योजनाएं तो खुब बनाते हैं और उनको अमली जाना पहनाने की शुरूआत भी करते हैं। लेकिन लंबे समय तक उन योजनाओं को चालू नहीं रख पाते। नतीजा, जहां से चले होते हैं, फिर वहीं पहुंच जाते हैं। कुछ ऐसा ही हाल शहर के विभिन्न व्यस्त इलाकों में सड़क किनारे लगनेवाली सब्जी मंडियों का है।
पिछले साल के नवंबर महीने में कोराेना महामारी को देखते हुए पहली बार इन मंडियों के अपने लगनेवाले जगह से महज 38 मीटर दूर स्थित मैदानों में स्थानांतरित किए जाने का निर्णय तात्कालीन उपायुक्त उमाशंकर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया था।
बैठक में हुए निर्णय के मुताबिक पुराना बाजार की सब्जी मंडी को पासा के तेतुलतल्ला मैदान तो स्टील गेट वाली मंडी को कोयलानगर नेहरू मैदान में शिफ्ट किया जाना था। वहीं हीरापुर सब्जी मंडी के 50 प्रतिशत दुकानों को जिला परिषद के परिसर में तो बरटांड़वाले मंडी को पास के ही श्रम नियोजनालय के खुले मैदान में ले जाया जाना था। इसकी शुरूआत भी हुई।लेकिन आज करीब आठ महीने बीत जाने के बाद भी इन मंडियाें को सड़क किनारे से नहीं हटाया जा सका। हालांकि बीच -बीच में दो तीन प्रयास हुए। लेकिन वह भी ढाक के तीन पात की मानिंद ही रह गये। नतीजा आज भी प्रतिदिन की भांति सड़कों के किनारे ही सब्जियाें की टोकरी रखे दुकानदारों को देखा जा सकते है। साथ ही खरीददारों की भीड़ के कारण हमेशा किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। सिंफर के सामने लगने वाली ऐसी ही मंडी में खरीदारी करने आयी रोशनी कहती हैं कि सब्जी खरीदते समय हमेशा डर बना रहता है। मन किसी अनहोनी की आशंका से सहमा रहता है।
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