ग्रामीण क्षेत्रों मंे रोजी मजदूरी करने वाले गरीब परिवारों जिनके पास स्वयं की कोई भूमि नहीं है उनके लिए राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना सहारा बनी है। भूमिहीन परिवारों की महिलाएं भी इस योजना से खुश हैं और वे उत्साह से ग्राम पंचायतों में पंजीयन कराने के लिए अपना आवेदन दे रही है।
मस्तूरी विकासखण्ड के ग्राम दर्रीघाट में 1 सितम्बर से ग्राम पंचायत भवन में शिविर लगाकर भूमिहीन परिवारों से योजना के तहत आवेदन लिए जा रहे है। अब तक यहां 180 से अधिक आवेदन मिल चुके है। ग्राम सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रोजगार सहायक प्रतिदिन शिविर में उपस्थित होते रहे है और ग्रामीणों से आवेदन प्राप्त करते है। ग्राम पंचायत में भूईयां रिकार्ड के आधार पर बी-1 तथा खसरा की प्रतिलिपि चस्पा की गई है। जिससे भूमिहीन परिवारों को आवेदन भरने में सुविधा हो रही है। हितग्राही परिवार का आधार कार्ड, बैंक पासबुक की छायाप्रति के साथ आवेदन जमा कराया जा रहा है। आवेदन की पावती ग्राम पंचायत सचिव दे रहे है।
ग्राम पंचायत में अपना आवेदन जमा करने पहंुची 65 वर्षीय विधवा महिला श्रीमती अग्नी बाई धुरी निराश्रित पेंशन से अपना गुजारा करती है। सरकार द्वारा उसे इंदिरा आवास उपलब्ध कराया गया है। अग्नी बाई ने कहा कि ’’अब गरीब मन के भी सुनवाई होवत हे’’ हम जैसे बेसहारा लोगों के लिए यह योजना संजीवनी है। श्रीमती सुशीला यादव का पति रोजी मजदूरी करता है। उन्होंने गांव में ही कब्जे की जमीन पर कच्चा मकान बनाया है और दोे बच्चों के साथ रहते है। घर का खर्च मुश्किल से पूरा होता है। सुशीला ने कहा कि योजना से उसे हर साल 6 हजार मिलेगा। जिससे उसके परिवार को आर्थिक मदद हो जाएगी। श्रीमती जसबाई यादव भी खेतों में मजदूरी करती थी। उसका पति शहर जाकर मजदूरी करता है। उन्होंने भी कब्जे की जमीन में कच्चा मकान बनाया है और पांच बच्चों का भरण पोषण कर रहे है। जसबाई ने कहा कि उन्हें भी योजना से आर्थिक संबल मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना अंतर्गत चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, धोबी, पुरोहित जैसे पौनी पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक तथा शासन द्वारा समय-समय पर नियत अन्य वर्ग भी जिनके पास कृषि भूमि नहीं इस योजना से लाभान्वित किये जायेंगे।