सम्पूर्णानन्दसंस्कृत,विश्वविद्यालय,वाराणसी के कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी की अध्यक्षता में आज माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को परिसर मे स्थापित माँ वाग्वदेवी मंदीर में माँ प्रतिमा के समक्ष षोडशोपचार विधि से पूजन किया गया।
उस दौरान कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने *पूरे मनो योग से विश्वविद्यालय के अभ्युत्थान एवं राष्ट्र कल्याण हेतु विधिवत पूजन किये उस दौरान कुलपति प्रो हरेराम ने कहा कि आज के पर्व में इस विद्या मन्दिर मे माँ सरस्वती जी के अवतरण दिवस के रुप में पूजन राष्ट्र कल्याण एंव राष्ट्र अभ्युदय के लिये किया जाता है,आज माघ पंचमी के दिन ऋग्वेद मे ऐसा वर्णित है की ब्रह्मा जी के कमण्डल से संगीत की देवी जी का अवतरण हुआ था,माँ सरस्वती जी के विभिन्न नामो मे प्रमुख माँ वीणा धारिणी,माँ हंस वाहिनी,माँ वागेश्वरी,माँ वाग्वदेवी आदि नामों से बोला जाता है,ब्राहम्ण’ग्रंथों के अनुसार ये ब्रह्मस्वरूपा,कामधेनु तथा समस्त देवों की प्रतिनिधि हैं। अमीत तेजस्वनी व अनंत गुणशालीनि देवी जी की कृपा सभी पर हो,यह पूजन विद्यार्थियों के तम को दूर करने और बुद्धि,विवेक,ज्ञान, संगीत ज्ञान,नृत्य कला आदि के वृद्धि एवं अभ्युदय के लिये किया जाता है यह पूजन सभी विद्यार्थियों,समाज के लिये सद्भाव,सद्बुद्धी,राष्ट्र कल्याण* आदि के लिये किया जा रहा है।
*कुलपति प्रो त्रिपाठी ने कहा कि माँ सरस्वती जी विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री,शान्ति और अहिंसा की देवी हैं,मनुष्य को सदैव धर्म के मार्ग पर जाने की प्रेरणा देती है,माँ के श्लोकों से शीतलता का भाव स्वतः उत्पन्न होता है*।
*कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि या कुन्देन्दु तुसार हाल धवला——-का भाव सम्पूर्ण जग को प्रकाशित करता है*।
पूजन समारोह में वैदिक विद्यार्थियों के द्वारा विधिवत मन्त्रोच्चार,मंगलाचरण एवं पूजन किया गया तथा संगीत विभाग के द्वारा भजन सन्ध्या का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।विभिन्न वक्ताओं के द्वारा शास्त्रों मे वर्णित माँ सरस्वती जी के महात्म का वर्णन किया गया।
*पूजन से पूर्व मन्दिर के पुजारी डॉ सच्चिदानंद पान्डेय के द्वारा माँ वागदेवी जी का विधि विधान एवं मन्त्रोच्चार के द्वारा श्रिंगार किया गया था*।
उस दौरान ,डॉ रविशंकर पांडेय एवं भारी संख्या मे विद्यार्थी,कर्मचारी आदि उपस्थित थे।
* वाराणसी से ओम प्रकाश मिश्र कि रिपोर्ट।