<div class="image"> <figure><img src="https://republicbharatnews89699.zapwp.com/m:0/a:https://spiderimg.amarujala.com/cdn-cgi/image/width=414,height=233,fit=cover,f=auto/assets/images/2021/12/02/750x506/azamgarh_1638430483.jpeg" alt="Procession-e-Amari taken out in Mittupur and Bijhar" /></figure> <figure>फूलपुर तहसील क्षेत्र के मित्तूपुर बाजार में अंजुमन जाफ़रिया और बिजहर गांव में अंजुमन सिपाहे हुसैनी की ओर से बुधवार की सुबह जुलूस-ए-अमारी निकाली गई। जुलूस गांव के विभिन अजाखाना से होते हुए कर्बला पहुंची। मित्तूपुर गांव में निकाले गए जुलूस के दौरान चुनिंदा स्थानों पर तकरीरे हुई। मौलाना शारिब अब्बास ने कहा कि यजीद जब तख्ते खिलाफत पर बैठा तो पांच लाख लोगों से बैयत ली। लेकिन यजीद जानता था कि पांच लाख लोगों की हां पर इमाम हुसैन की एक ना ही भारी है। इसलिए यजीद इमाम हुसैन की बैयत लेना चाहता था। इमाम हुसैन ने कहा था कि मैं तुझ जैसे की बैयत नहीं कर सकता। मौलाना वसी हसन खां ने कहा कि आज ही के दिन 28 रजब सन 60 हिजरी को इमाम हुसैन ने नाना का दीन बचाने के लिए मां की लहद, नाना का रौजा और भाई के मजार को अलविदा कहा। मौलाना हुसैन हैदर वकार ने कहा कि इमाम हुसैन का 28 रजब का सफर अपने नाना का दिन बचाने के लिए निकला था। उन्होंने अपनी कुरबानी देकर इस्लाम को बचाया है। दो स्थानों पर निकाले गए जुलूस में अंजुमनों ने नौहा मातम पेश के खिराज-ए-अकीदत पेश किया।</figure> </div>