भारती और सिंगली श्रीलंका परंपरा के अनुसार गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में हुआ था | सिंगली परंपरा के अनुसार महात्मा बुध का जन्म 624 ईसापुर में माना गया है| इस वर्ष को आधार लेकर भारत सरकार ने 1956 में महात्मा बुद्ध का 2500वा गौतम बुद्ध का जन्मदिन मनाया| गौतम बुद्ध का बचपन:- गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण वह गौतम भी कहलाए बचपन में इन्हें सिद्धार्थ नाम से पुकारते थे सिद्धार्थ का अर्थ जो सिद्धि प्राप्ति के लिए जन्मा हो |इनकी माता का नाम महामाया था जो कौशल राजवंश की राजकुमारी थी |इनके पिता का नाम शुद्धोधन था जो नेपाल की सीमा में स्थित कपिलवस्तु नामक राज्य के राजा थे | जन्म के सातवें दिन ही महामाया का देहांत हो गया उनका पालन-पोषण इनकी मौसी ने किया |सिद्धार्थ बचपन से ही बहुत चिंतनशील स्वभाव के थे एकांत में बैठकर विचार किया करते थे |जिस कारण उनके पिता ने 16 वर्ष की उम्र में उनका विवाह करवा दिया गया |”कपिलवस्तु रोहिणी नदी के तट पर बसा हुआ था “|सिद्धार्थ युवा हो गए तो वह हर चीज को जानने के लिए बड़े उत्सुक रहते थे उन्हें राजा शुद्धोधन से पहली बार महल से बाहर भ्रमण करने के लिए जाने की आज्ञा दी |मित्र सार्थी चना के साथ भ्रमण पर निकल पड़े भ्रमण के दौरान उनके मार्ग में जो कुछ भी देख जिससे उनके जीवन की दिशा बदल गई बुद्ध के प्रथम उपदेश (लगभग 533) ईसा पूर्व में सारनाथ में दिया था 300 वर्ष बाद तक सारनाथ का इतिहास अज्ञात था | सारनाथ की समृद्धि और बौद्ध धर्म का विकास सर्वप्रथम अशोक के शासनकाल में दृष्टिगत होता है उसने सारनाथ में धर्म राज्य , स्तूप एवं सिंह स्तंभ का निर्माण करवाया |अशोक के उत्तराधिकारी के शासनकाल में पुनः सारनाथ अभिनति की ओर अग्रसर होने लगा |कनिष्क के राज्य काल में तीसरे वर्ष में भिक्षुक बल ने अपने शासनकाल में न केवल सारनाथ विवरण, इसके अलावा भारत के विभिन्न भागों में बहुत से स्तूप का निर्माण कराया| सारनाथ के इतिहास में सबसे गौरव पूर्ण समय गुप्त काल का था |उस समय यहां मथुरा के अतिरिक्त उत्तर भारत में सबसे बड़ा कला का केंद्र था |हर्ष के शासन काल में , चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया था उसने सारनाथ को अत्यंत खुशहाल बताया था |इसके बाद महमूद गजनवी ने 1017 ईशा के बाद वाराणसी आक्रमण के समय सारनाथ को अत्यधिक क्षति पहुंची| , पुनः 1020 ईस्वी में सम्राट महिपाल के शासनकाल में काशी का देवालयम के उद्धार के साथ-साथ राजधर्म का स्तूप एवं धर्म चक्र का भी उद्धार किया गया|
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