कासगंज /सिढ़पुरा। कस्बा के हजरत दादा मियां शाह रहमतुल्लाह अलैहि के उर्स पर हुए सामूहिक विवाह में सात हिन्दू मुस्लिम जोड़े दाम्पत्य सूत्र बंधन में बंधे। इस दौरान मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन भी हुआ। जिसमें बाहर से आए कवियों व शायरों ने अपनी-अपनी काव्य रचनाएं प्रस्तुत कर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। मुख्य अतिथि पूर्व विधायक नजीवा खान जीनत एवं उनकी बेटी नाशी खान रहीं। कमेटी ने मुख्य अतिथियों का फूलमाला एवं चांदी का मुकुट पहनाकर अभिनंदन किया। उर्स कमेटी द्वारा सात विवाह मय दहेज के संपन्न कराए गए। इसके बाद मुशायरा हुआ। मुशायरे का आगाज़ महाराष्ट्र से आये शायर वाहिद अंसारी ने नाते कलाम पढ़कर किया। संचालन करते हुए शायर नदीम फर्रुख ने कहा कि मिट्टी से अपनी जो भी वफ़ाएं कर न सका, वो पेड़ आंधियों में जड़ों से उखड़ गया। हासिम फिरोजाबादी ने कहा कि हिसाब जो भी था जिसका, वो साफ कर आया, मैं उठा और फिर सबको माफ कर आया। नुजहत अमरोही ने कहा कि वो देखता है क्यों मुझे नजरें उभार के। कवि शरद लंकेश ने कहा कि बाला झोपड़ी में जो सियानी हो गई, गांव भर के मनचलों की राजधानी हो गई। शायर आमिर शेख ने पढा कि जहन ओ दिल बेचैन तबियत भारी है, जिम्मेदारी आखिर जिम्मेदारी है। रुखसार बलरामपुरी एवं विकास बोखल ने कलाम पेश किए। इस दौरान उर्स कमेटी अध्यक्ष निजाम अहमद बब्बन, उपाध्यक्ष तौहीद सिद्दीकी, रहीस, शानू सैफी, फरीद बाबा समेत अन्य मौजूद रहे।
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