रायबरेली-ऊंचाहार-योगी सरकार प्रदेश में जहां पर जीरो टॉलरेंस पर कार्य करती चली आ रही है वहीं सरकार के मताहत सरकार की साख पर बट्टा लगाने के बाद नहीं आ रहे और रायबरेली जनपद में भ्रष्टाचार का हो रहा बोल वाला भ्रष्टाचारियों को नहीं रहा शासन प्रशासन का कोई डर।
सूत्रों के अनुसार रायबरेली जनपद के विकास खंड ऊंचाहार में भ्रष्टाचार की बानगी देखने को मिली,एक कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है “कि सैयां भए कोतवाल तो डर काहे का” इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए ग्राम पंचायत सराय साहिजन में लगातार अनुपस्थित चल रही पंचायत सहायक का मानदेय सांठ गांठ कर निकाल दिया गया।
गौरतलब हो कि सराय साहिजन में प्रधान भले बदल गए लेकिन पंचायत मित्र नही बदले जिससे ग्रामसभा स्तर पर बनी शाख के चलते अपनी बहू को पंचायत सहायक बनवा लिया।अब पुराना शिकारी पंचायत मित्र और नया प्रधान को अधिकारियों से मिलकर तरह तरह के घात गुरिया पढा़कर विफल कर दिया और खुद ग्राम सभा में कुंडली मारकर बैठे हैं,ऐसा प्रतीत होता है की ग्राम प्रधान मात्र कठपुतली बनकर रह गया,उसे जानकारी का आभाव कहा जाए या फिर वोट बैंक का सिस्टम जो देखने को मिला। शासन द्वारा ग्राम सभा में विकास के लिए आए हुए सरकारी धन का किस प्रकार बंदर बांट हुआ है उसका एक नजराना पेश है, जो जांच का विषय है।हालांकि कुर्सी छोड़कर जांच करना अधिकारियों को भाता नहीं है, जिस कदर उत्तर प्रदेश सरकार ग्राम सभाओं पर फोकस किया ग्राम पंचायतें सज गई होती।हम बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत सराय साहिजन की वर्ष 2018 में विद्यालय में टाइल्स लगाने एवं अन्य कार्यहेतु धनराशि निकाल लिया गया लेकिन टाइल्स सहित कोई भी कार्य नही हुआ था।जब मीडिया ने आवाज उठाई तो सवाल जवाब से बचने के लिए वर्ष 2020 में कायाकल्प योजना के अंतर्गत एक सप्ताह के अंदर टाइल्स और अन्य मरम्मती कार्य विद्यालय में कराए गए।ठीक ऐसा ही मामला ग्राम सभा के पंचायत सहायक आस्था मिश्रा का प्रकाश में आया है।बताते चले कि आज से करीब एक वर्ष पूर्व अप्रैल 2022 से दिसंबर 2022 तक पंचायत सहायक आस्था मिश्रा का मानदेय का भुगतान अप्रैल 2023 में कर दिया गया। जबकि आस्था मिश्रा का पंचायत सहायक के पद पर चयन होने के बाद वह कभी उपस्थित नहीं रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं गांव की जनता कह रही है, और सारी उजागर कोई और नहीं बल्कि की ग्राम पंचायत के मुखिया/ ग्राम प्रधान शिवकुमार के द्वारा बताया गया। ग्राम प्रधान ने यह भी बताया था कि 2 महीने का भुगतान कर दिया गया था।जिसे वापस भी कराया गया था।उस समय पंचायत सचिव मोहम्मद इशा का कार्य समय था।दिसंबर 2022 से कार्य क्षेत्र में बदलाव हुआ तो नए पंचायत सचिव संजीव कुमार को सराय सहिजन ग्राम सभा की कमान मिली। कमान मिलते ही रोजगार सेवक और ग्राम पंचायत मित्र के तालमेल अच्छे हो गए।जिसके चलते ग्राम सभा में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर चढ़ गया।जिस पर रोजगार सेवक राजकरन तिवारी की बहू आस्था मिश्रा पंचायत सहायक के पद पर है।बगैर कार्य किए ही प्रधान,पंचायत सेक्रेटरी की मिलीभगत से 9 माह का भुगतान कर दिया गया।इस संबंध में ऊंचाहार खंड विकास अधिकारी जवाब देने से बचने के लिए आओ बैठकर बात करते है। जानकारी नहीं है।जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते नजर आए।जब इस बाबत पंचायत सचिव संजीव कुमार से फोन के माध्यम से वार्तालाप हुई तो उन्होंने बताया कि पूर्व में रहे पंचायत सचिव मो ईशा के द्वारा जो रिकॉर्ड बना के दिया गया था।उसी के आधार पर मेरे द्वारा पंचायत सहायक का भुगतान किया गया है।जिससे कहीं न कहीं पूर्व में रहे पंचायत सचिव मोहम्मद ईशा की भूमिका देखने को मिल रही है।अब सोचने वाली बात तो यह की अगर कोई गरीब आवास के लिए या अन्य किसी कार्य के लिए पहुंचता है तो साहब कमियों की झड़ी लगा देते है।जिसे पूरा करने में पीड़ित को एक माह लग जाता है,वहीं सरकारी धन का किसी के साथ मिलकर बंदर बांट करने में आंखे बंद कर पैसा निकलवा दिया जाता है। अब देखना है कि जिले की तेज प्रताप जिलाधिकारी हर्षिता माथुर इस भ्रष्टाचार रूपी युग का अंत कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करती हैं यह तो समय के गर्भ में है, और एक बार फिर इस भृष्टाचार रूपी दलदल में रायबरेली जनपद डूबता नजर आ रहा है।
रिपब्लिक भारत न्यूज़ 24
जिला संवाददाता धर्मेन्द्र सोनी
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