*लॉकडाउन में सब्जी बेचने की सज़ा मौत: शमशाद आलम राईन*
*दोषी पुलिसकर्मियों को कड़ी सज़ा,परिवार को नौकरी और मुआवजे की जमीयतुर्राइन ने की मांग*
*गोरखपुर*//उत्तर प्रदेश जमीयतुर्राइन (रजि.) के महासचिव शमशाद आलम राईन ने उन्नाव में सब्जी बेचने वाले फैसल की हत्या पर कड़ा विरोध किया है उन्होंने कहा है की उन्नाव जिले के बांगरमऊ में फैसल राईन 17 साल का बच्चा जो एक ईमानदार और नेक इंसान था जिसे किसी भी राजनीतिक दल या राजनीति से कोई वास्ता नहीं था जो सिर्फ अपनी जीविका चलाने के लिए लोगों को सब्जी बेचा करता था और उसका नाम फैसल राईन था, शायद यही बात उत्तर प्रदेश पुलिस में मौजूदा कुछ नफ़रतियों को गँवारा नहीं हुई और लॉकडाउन में सब्जी बेचने के कारण यूपी पुलिस के 3 गुंडे उसे उठा कर थाने ले जाते हैं फिर इतनी पिटाई करते हैं कि उसकी जान चली जाती है और ये गुंडे उसकी लाश को आनन-फानन में अस्पताल में फेंक के फरार हो जाते हैं, बड़ी मुश्किल से मुक़ामी लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन करने पर 3 पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है मगर अभी तक गिरफ्तारी सिर्फ एक को ही हो सकीं है बाकी फरार हैं।
—फैसल कि पंचनामा रिपोर्ट में उसे निर्दयता से मारे पीटे जाने की पुष्टि हुईं है—
अब सवाल ये है कि जब लॉकडाउन लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने जीविका चलाने हेतु सब्जी बेचने वालों को प्रताड़ित ना करने का आदेश दिया था तो फिर इन गुंडों को इतना अधिकार किसने दिया। आखिर कब तक इस प्रकार की घटनाएं होती रहेंगीं और सरकार की ख़ामोशी का फायदा उठा कर नफ़रती दरिंदे समाज में नफ़रत फैलाने का गंदा खेल खेलते रहेंगे, आज फैसल है, कल कोई और फैसल किसी भी समाज से हो सकता है। यदि जल्द से जल्द सरकार सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए फैसल के परिवार को उचित मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को जीविका चलाने हेतु नौकरी नहीं देती तो उत्तर प्रदेश जमीयतुर्राइन एक बड़े आंदोलन करने पे मजबूर होगी जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
Contact This News Publisherअब फैसल वापस तो नहीं आएगा मगर कोई और फैसल इन नफ़रतियों का शिकार ना हो इसके लिए पूरे राईन समाज के साथ इंसानो का दिल रखने वाले समाज के सभी लोगों को आगे बढ़ कर प्रदेस सरकार से यू पी पुलिस व प्रशासन में मौजूद इन नफ़रतियों के ख़िलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की मांग करनी होगी ताकि फैसल को इंसाफ़ मिल सके और फिर कोई फैसल इसका शिकार ना हो।
आर भारत न्यूज 24
ब्यूरो रिपोर्ट गोरखपुर
प्रिया शुक्ला