- यू.पी. (मऊ): ’कोविड काल के मद्देनजर साहित्यिक संस्था सार्थक कलम द्वारा प्रकाशित पहली त्रैमासि क साहित्यिक ई-पत्रिका – वृन्द का लोकार्पण समारोह व काव्यगोष्ठी का आयोजन शुक्रवार की शाम को आनलाइन आयोजित हुआ। कार्यक्रम में सर्वप्रथम मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध गीतकार व शायर अश्क चिरैयाकोटी तथा सार्थक कलम की संस्थापिका व संपादक विनीता सिंह “विनी” ने ई-पत्रिका वृन्द का लोकार्पण किया। इस अवसर पर पांच राज्यों से उपस्थित लगभग एक दर्जन साहित्यकारों ने इस पत्रिका को साहित्य के क्षेत्र में एक अमूल्य योगदान बताया। वहीं मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि वृन्द पत्रिका के इस पहले अंक में 44 रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हैं। जिसमें दोहा,, छंदमुक्त,पंच चामर छंद, कुंडलियां,नन्हे कदम, मुक्तक,गजल, हास्य-व्यंग्य, गीत आदि विधा की रचनाएं संकलित हैं। युवा साहित्यकारों के लिए यह पत्रिका अमूल्य उपहार है। साथ ही उन्होंने संपादक विनीता सिंह “विनी” को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने निस्वार्थ भाव से और अपने अथक प्रयास से नये रचनाकारों को साहित्य की दुनिया में एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है। जो काफी सराहनीय है।
इस अवसर पर एक कविगोष्ठी भी आयोजित हुई। जिसमें कासगंज से उरूज कासगंजवी ने- ऐ उरूज दिल की बात यूँ नहीं कही जाती,दिल की बात कहने को शायरी जरूरी है।। सुनाकर समां बांध दिया। वहीं दिल्ली से कवियित्री राजेश्वरी ने – बिना आवाज के, बिना आहट के,बोल देती है सब कुछ,ऐसी ही होती है स्त्री।। सुनाकर स्त्री के अदम्य साहस और उसके दर्द को रेखांकित किया। वहीं मुंबई से जुड़े मराठी फिल्मों के गीतकार विरेन्द्र रत्ने ने- याद आता है बचपन मुझको, ममता के आंचल की छांव,आज भी मैं तो भुला न पाया,मेरा प्यारा,प्यारा गांव। सुनाकर गांव के माटी की खुशबू बिखेर दिया। प्रयागराज से सिम्पल काव्यधारा ने- खतों से वो संदेश भिजवा रहे हैं,मगर खुद ही कहने में शरमा रहे हैं। सुनाकर माहौल को रुमानी बना दिया। वहीं मुख्य अतिथि अश्क चिरैयाकोटी ने – लग रहा है डुबो कर ही मानेगी अब, आजकल बन गई है भंवर जिन्दगी।। सुनाकर आज के माहौल पर सोचने को विवश कर दिया। कार्यक्रम के अंत में संयोजक विनीता सिंह “विनी” ने सभी अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। इस अवसर पर राजमणि “राज”,संगीता रस्तोगी,दीपक सिंह परिहार आदि लोग उपस्थित रहे।