*विषय —भारतीय शिक्षा पद्धति का गिरता स्तर एवं शिक्षा का होता व्यापारिकरण पर लेख ।*
जारीकर्ता-
गोपाल पाठक कृष्णा जी राष्ट्रीय कवि /लेखक*
भारतीय शिक्षा पद्धति के वर्तमान में गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय कवि गोपाल पाठक कृष्णा ने कहा कि बेहद अफसोस की बात है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली का बहुत तेजी से व्यापारिकरण होता जा रहा है, अर्थात डिग्री को खरीदा जा रहा है ,जो समाज को उच्चतम स्तर पर जाने से रोक रहा है,लेकिन क्या आप इस बात से सहमत हैं कि बिना पढ़े डिग्री हासिल करना राष्ट्रीयता को मजबूती देगा नहीं मेरी नज़र में नहीं आगे लिखते हुए राष्ट्रीय कवि गोपाल पाठक ने कहा कि हमें शिक्षा ग्रहण करने व कराने के लिए जिज्ञासु होना बहुत अनिवार्य है तभी हम सीखकर शिक्षा के उच्चतम स्तर को हासिल कर सकते हैं यहां पर मैं एकबार पुनः कह रहा हूं कि धन से हम डिग्री खरीद सकते हैं पर ज्ञान नहीं आज का समय ज्ञान का युग है, धन का है लेकिन ज्ञान के समीपस्थ नहीं अर्थात ज्ञान से धन है ,धन से ज्ञान नहीं ,आगे कवि पाठक ने कहा कि भारतीयों के पास योग्यता तो बहुत है लेकिन वह अपनी सही योग्यता का इस्तेमाल सही जगह नहीं करते हैं क्योंकि बह आलस्य में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, आलस हमें निंदा की तरफ ले जाता है ,हमारी प्रतिभा को विराम लगाता है, आज के इस युग में 70 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं जिसका कारण वह स्वयं और पारिवारिक वातावरण है,स्वयं इसलिए कि सही समय पर सही शिक्षा हासिल नहीं कि जब विधालय जाना था तब नहीं गये और कि आज गणित की कक्षा ज्वाइन नहीं करनी है। हमें गणित नहीं आता और एक तरफ पारिवारिक वातावरण जो जिसने बाल्यावस्था से ही हमें किस ओर ढाला इस पर भी निर्भर करता है,आगे लिखते हुए लेखक कह रहा है कि आज के समय में सिर्फ छात्र ही नहीं शिक्षक भी परिपूर्ण नहीं है जो बेहद चिंताजनक स्थिति को बनाये हुए हैं क्योंकि छात्र ही किसी राष्ट्र की असली शक्ति होती है और प्रत्येक राष्ट्र की उन्नति प्रबल शिक्षा व्यवस्था से होती है, क्योंकि छात्रो से ही शिक्षक,वकील , डाक्टर, कलेक्टर और राजनेता तैयार होते हैं जो प्रत्येक राष्ट्र की असली सम्पत्ति होती है, आगे राष्ट्रीय कवि गोपाल पाठक ने लिखा की देश की मजबूत शिक्षा पद्धति को बनाने के लिए हमें प्रखर बुद्धि छात्रो को आगे लाकर खड़ा कर उन्हें बेहतर सम्मान और पुरस्कार प्रदान करने होंगे जिनसे सीख ले मध्यम वर्ग के कमजोर अति कमजोर छात्र प्रेरित हो शिक्षा के अधिगम स्तर को बढ़ावा दे और सही शिक्षा हासिल कर देश सेवा में योगदान दे एवं गिरते शिक्षा के स्तर को बचाने का प्रयास कर सके।एवं जब राष्ट्र एक मजबूत एवं उच्च शिक्षित व्यक्ति के हाथों में होगा तब ही शिक्षा को व्यापारिकरण एवं फर्जीवाड़े से बचाया जा सकता है
शिक्षा से राष्ट्र मजबूत समृद्ध और प्रभावशाली बनता है।
*लेखक*
*गोपाल पाठक कृष्णा*
*राष्ट्रीय कवि*
*बरेली उत्तर प्रदेश भारत*
*पिनकोड 243504*